दांतों की फिलिंग जरूरी क्यों है, कब करानी चाहिए, क्या सावधानी रखें? जानें जवाब

दांतों की फिलिंग जरूरी क्यों है, कब करानी चाहिए, क्या सावधानी रखें? जानें जवाब

सेहतराग टीम

जब दांतों की सख्त सतह हमेशा के लिए नष्ट हो जाती है और छोटे-छोटे छेंद हो जाते हैं। ऐसे ही अगर लगातार होता रहता है तो दांत धीरे-धीरे खोखले हो जाते हैं। अक्सर हम इसे दांतों की कैविटी कहते हैं। दांतों की कैविटी को दांतों का सड़ना या दांतों में कीड़ा लगना भी कहा जाता है। ऐसे में दिमाग में सवाल उठता है कि ऐसी समस्या में क्या करना चाहिए। इसी सवाल के जवाब के लिए हमने डॉ. विकास कुमार से बात की। उन्होंने बताया कि ऐसी समस्या में दांतों की फिलिंग करवा लेनी चाहिए। दांतों की सुरक्षा के लिए अगर हम दांतों की फिलिंग करवा लेते हैं तो हमारे दांत ज्यादा समय तक सुरक्षित रहते हैं। हालांकि ये जरूरी क्यों है, फिलिंग कितने प्रकार की होती है? और इसे कब कराना चाहिए? आइए आगे ऐसे ही सवालों के बारे में विस्तार से जानते हैं।

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फिलिंग जरूरी क्यों है और कब करानी चाहिए?

डॉ. विकास कुमार ने बताया कि फिलिंग इसलिए जरूरी है क्योंकि यदि आप फिलिंग न करवाएं तो दांत में ठंडा-गरम और खट्टा-मीठा लगता रहेगा। इसके बाद दांत में दर्द होने लगता है और धीरे-धीरे पास बन जाता है। ऐसा होने पर रुट कनाल ट्रीटमेंट कराने की नौबत आ जाती है। इसलिए आप जितनी जल्दी फिलिंग करवा लेते है आपके लिए उतना ही अच्छा रहता है। लेकिन कभी-कभी यह भी समस्या होती है कि हमें कौन सी फिलिंग करवानी चाहिए।

1- सिल्वर फिलिंग-

डॉ. विकास कुमार ने बताया यह फिलिंग लंबे समय तक रहती है। यह फिलिंग काफी उपयुक्त होती है। हालांकि यह बहुत मंहगी होती है तो हर कोई इसे नहीं करवाता है। लेकिन इसका रंग थोडा काला होता है जिसकी वजह से इससे दांतों की सुन्दरता पर प्रभाव पड़ता है। इसी कारण चांदी युक्त मिश्रण को वैसे दांतों में हीं भरा जाता है जो छिपे रहते हैं यानी सामने से दिखलाई न देते हों।

2- कम्पोजिट फिलिंग-

डॉ. विकास कुमार के अनुसार कम्पोजिट फिलिंग सबसे बेस्ट फिलिंग होती है। क्योंकि यह बिल्कुल सुरक्षित होती है। इससे केवल दांतों में बने गड्डों को ही नहीं भरा जाता है बल्कि साथ में दांतों के बीच बने छोटे-छोटे गैप को भी भरा जाता है। इसकी सबसे अच्छी बात यह है कि इसका रंग भी दांतों के रंग जैसा होता है। इसलिए यह उन दांतों के छेद को भरने के काम में लाया जाता है जो दिखलाई देते हों जैसे सामने वाले दांत। ये दाग प्रतिरोधी होते हैं लेकिन थोड़े महंगे होते हैं। ये तकरीबन पांच से सात साल तक चलती है।

3- व्हाइट फिलिंग-

इस फिलिंग का रंग दांतों के रंग जैसा होता है। इसलिए इसे उन दांतों में भरा जाता है। जो दांत दिखाई देते हैं। इसे सामने वाले दांत लेकिन बहुत ज्यादा गहरा छेद भरने के लिए यह उपयुक्त नहीं माना जाता। इसकी फिलिंग करने के बाद यह 3 से 10 साल तक चलती है।

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क्या सावधानी रखनी चाहिए?

  • दांतों की नियमित सफाई रखें।
  • डॉक्टर के बताए गए दिशा निर्देशों का पालन करें।
  • नियमित कुल्ला करें।
  • डॉक्टर द्वारा बताए गए वाटर फ्लैश से मुंह को साफ रखें।
  • शुरूआती दौर में खाना खाते समय थोड़ा ध्यान रखें और ज्यादा कठोर चीज न खाएं।

फिलिंग के बाद डॉक्टर को दिखाना कब जरूरी होता है।

  • फिलिंग के बाद दांत में दर्द हो रहा हो।
  • फिलिंग ऊंची हो।
  • फिलिंग निकल रही हो।
  • फिलिंग कराने के बाद भी दर्द हो या ठंडा लग रहा हो।

 

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